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About This Course

शिक्षा की गुणवत्ता अब हमारी राष्ट्रीय चिंता है। और इस कोरोना-ग्रसित वर्ष में तो यह चिंता और गंभीर हो गई है। अब तो बच्चों के सीखने के अवसर और भी सीमित हो गए हैं। शिक्षा की गुणवत्ता की सब से अधिक चर्चित समस्या विद्यालयों का पढ़ना-लिखना सब बच्चों को ठीक से न सिखा पाना है। पढ़ना-लिखना अपने आप में शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा तो है ही, जो बौद्धिक विकास के असीमित रास्ते खोलता है, पर साथ ही किसी भी तरह की शिक्षा ग्रहण करने के लिए यह मूल शर्त भी है। इसीलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ज़ोर देते हुए कहती है कि “सीखने की बुनियादी आवश्यकताओं (अर्थात मूलभूत स्तर पर पढ़ना, लिखना और अंकगणित) को हासिल करने पर ही हमारे विद्यार्थियों के लिए बाकी नीति प्रासंगिक होगी”। अर्थात इन चीजों को ठीक से न सीख पाने से तो यह सारी नीति अधिकांश बच्चों को कुछ भी लाभ नहीं पहुंचा पाएगी। अतः इस शिक्षा नीति के अनुसार “शिक्षा प्रणाली की सर्वोच्च प्राथमिकता 2025 तक प्राथमिक विद्यालय में सार्वभौम मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान प्राप्त करना होगा”।

इन बातों को ध्यान में रखते हुए पढ़ना-लिखना सीखने के एक सफल तरीके को हम इस ऑनलाइन कोर्स के माध्यम से साझा कर रहे हैं। यह सर्वश्रेष्ठ का दावा नहीं है। यह शोध-आधारित होने का दावा भी न नहीं है। बस कर्म-सिद्ध और उदार-चयनशील भर होने की बात है, कई सफल हो सकने वाले तरीकों में से एक की बात, ना कि एकमात्र और सर्वश्रेष्ठ की बात। यह कोर्स केवल आरंभिक पढ़ना-लिखना सिखाने पर केन्द्रित है। इसमें हम सब पढ़ना-लिखना सिखाने की क्रियात्मक और सैद्धांतिक बारीकियों को बेहतर समझ पाएंगे और क्रियान्वयन की क्षमताएं भी बेहतर विकसित कर पाएंगे।

Requirements

यह कोर्स ऐसे सभी व्यक्तियों के लिए है जो शिक्षा और उससे जुड़े विभिन्न मुद्दों से सरोकार रखते हैं और उसके अंतर्गत प्राथमिक कक्षाओं में भाषा शिक्षण के अर्थपूर्ण तौर-तरीकों पर अपनी समझ बनाने में अपना समय और ऊर्जा लगाना चाहते हैं। शैक्षिक योग्यता की कोई औपचारिक आवश्यकता नहीं है लेकिन हिन्दी में पढ़ने और लिखने की दक्षता आवश्यक है।

Course Staff

Rohit Dhankar

रोहित धनकर

रोहित वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, बैंग्लोर में शिक्षा-दर्शन के प्रोफेसर हैं, और दिगंतर, जयपुर के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। रोहित देश भर में विभिन्न समितियों और सहयोगी प्रयासों के माध्यम से पाठ्यक्रम निर्माण सामग्री को विकसित करने के कई प्रयासों का प्रमुख हिस्सा रहे हैं। स्कूली शिक्षा और शिक्षक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम निर्माण कार्यक्रमों में रोहित द्वारा NCERT और SCERT को समय-समय पर मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान किया जाता रहा है। रोहित ने नीलबाग स्कूल में डेविड हॉर्सबर्ग के साथ रहते हुए एक शिक्षक के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया है और दिगंतर स्कूल में लगभग 15 वर्षों तक प्रारम्भिक स्तर पर मुख्यतः गणित और भाषा का शिक्षण किया है।

कार्य और रुचि के क्षेत्र: शिक्षा दर्शन, गणित शिक्षण, अध्यापक- शिक्षा और शिक्षाक्रम की ज्ञान-मीमांसा

Pragya Shrivastava

प्रज्ञा श्रीवास्तव

प्रज्ञा एक दशक से अधिक समय से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं। इन्होंने प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में 3 साल विज्ञान और गणित विषय का शिक्षण किया है। एकलव्य और अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन में रहते हुए विज्ञान विषय के शिक्षकों के साथ विभिन्न स्कूलों में काम करते हुए शिक्षकों के लिए शिक्षण सामग्री और सीखने-सिखाने के तौर तरीकों पर काम किया है। साथ ही DIET और SCERT में सेवाकालीन अध्यापक- शिक्षा कार्यक्रमों के लिए मॉड्यूल निर्माण और प्रशिक्षण में योगदान दिया है। वर्तमान में वे दिगंतर में कार्यरत हैं। उन्होंने भौतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर और बी. एड. की उपाधि हांसिल की| और बाद में उन्होंने अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय से शिक्षा में एम.ए. भी किया है|

कार्य और रुचि के क्षेत्र: विज्ञान शिक्षा, अध्यापक-शिक्षा, और बच्चों का साहित्य

Frequently Asked Questions

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